अन्धराष्ट्रवाद का उन्माद फैलाकर और “राष्ट्र की सुरक्षा” के नाम पर चुनाव की वैतरणी पार करने की फ़िराक़ में एक बार फिर जुटी फ़ासीवादी भाजपा सरकार!!
इतिहास इस बात का गवाह रहा है कि चुनाव के समय सीमा पर तनाव या मुठभेड़ की ख़बर आते ही गोदी मीडिया से लेकर फ़ासीवादियों का पूरा प्रचार तंत्र देश में युद्धोन्माद और अन्धराष्ट्रवाद की लहर फैलाने में लग जाता है। “दुश्मन को सबक सिखाओ!”, “हमें नौकरी नहीं बदला चाहिए”, “घर में घुसकर मारो!”, “देशहित के लिए आगे आओ!” जैसे नारों की शोर में लोगों के जीवन की असल समस्याएँ दूर धकेल दी जाती हैं और आख़िरकार इन सैन्य झड़पों और युद्धोन्माद का ख़ामियाज़ा आम मेहनतकश जनता को भुगतना पड़ता है। सीमा पर तनाव हो, युद्धोन्माद हो या फ़िर साम्प्रदायिक दंगे हर जगह मरते आम लोग है जबकि भाजपा के नेता-मंत्री और उनके बेटे-बेटियाँ विदेशों में अय्याशियाँ करते हैं। देश में इस तरह के उन्माद फैलाकर लोगों की लाशों पर वोट बटोरना फ़ासिस्टों की राजनीति का हिस्सा है।
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