RWPI छत्तीसगढ़ में सीपीआई (माओवादी) के महासचिव एन. केशव राव, अन्य माओवादियों एवं आम आदिवासियों की हत्याओं की निन्दा करती है!
भारत की क्रान्तिकारी मज़दूर पार्टी (RWPI) छत्तीसगढ़ में सीपीआई (माओवादी) के महासचिव एन. केशव राव, अन्य माओवादियों एवं आम आदिवासियों की हत्याओं की निन्दा करती है!
ये न्यायेतर हत्याएँ और मुठभेड़ें फ़ासीवादी मोदी सरकार के जन-विरोधी व ग़रीब-विरोधी चरित्र को उजागर करती हैं!
भारत सरकार सीपीआई (माओवादी) के साथ तत्काल शान्ति वार्ता करे!
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भारत की क्रान्तिकारी मज़दूर पार्टी (RWPI) द्वारा जारी
भारत की क्रान्तिकारी मज़दूर पार्टी (RWPI) छत्तीसगढ़ में मोदी-शाह सरकार के तथाकथित ‘‘उग्रवाद-विरोधी ऑपरेशन’’ के तहत सीपीआई (माओवादी) के महासचिव एन. केशव राव उर्फ़ बसवराजू, अन्य माओवादियों एवं आम आदिवासियों की केन्द्र व राज्य सरकार के सशस्त्र बलों द्वारा की गई हत्याओं की निन्दा करती है!
‘‘माओवादियों’’ से लड़ने के नाम पर मोदी-शाह सरकार द्वारा शुरू किया गया ‘ऑपरेशन कगार’ वास्तव में भारतीय तथा विदेशी पूँजी द्वारा मध्य भारत के खनिज-समृद्ध क्षेत्रों के शोषण व लूट के लिए रास्ता तैयार करने का ऑपरेशन है। माओवादियों और आम आदिवासियों से मुठभेड़ें और न्यायेतर हत्याएँ इन्हीं पूँजी-परस्त और जनविरोधी लक्ष्यों को हासिल करने के लिए की गई हैं।
ये मुठभेड़ें ऐसे समय हुई हैं जब सीपीआई (माओवादी) ने स्वयं शान्ति वार्ता करने का आह्वान करने की पहल की थी। सीपीआई (माओवादी) ने शान्ति वार्ता करने की अपील गत 8 फ़रवरी को जारी की थी। तमाम राजनीतिक दलों, पत्रकारों, वकीलों, गाँधीवादी एक्टिविस्टों की अपील के बावजूद मोदी सरकार ने सीपीआई (माओवादी) के सदस्यों और आम आदिवासी जनता का सफ़ाया करने का अपना ऑपरेशन जारी रखा। अन्तरराष्ट्रीय क़ानूनों और परम्पराओं के अनुसार भी लोकतांत्रिक आधार पर बनी किसी भी सरकार को हिंसा और दमन के दुष्चक्र को समाप्त करने के इस प्रस्ताव को स्वीकार करना चाहिए था। परन्तु ऑपरेशन कगार का जारी रहना यह दिखाता है कि मोदी सरकार का इरादा उस क्षेत्र में लोकतांत्रिक तरीक़े से शान्ति बहाल करना नहीं बल्कि उस समूचे क्षेत्र में राजनीतिक विरोधियों का सफ़ाया करके उसे खाली कराने का है ताकि आम तौर पर पूँजी और ख़ास तौर बड़े पूँजीपतियों के हितों को साधा जा सके।
जनता पर भरोसा करने वाली किसी भी क्रान्तिकारी ताक़त की सीपीआई (माओवादी) के आतंकवादी तरीक़ों और दुस्साहसवाद की उसकी राजनीतिक लाइन से सहमति नहीं हो सकती है। साथ ही यह भी दोहराना ज़रूरी है कि ऐसी सभी प्रकार की दुस्साहसवादी धाराएँ राज्य द्वारा की गई हिंसा, आतंक, उत्पीड़न व दमन की प्रतिक्रिया में पैदा होती हैं और फलती-फूलती हैं। पिछले कुछ महीनों के दौरान मोदी सरकार द्वारा माओवादियों से शान्ति वार्ता शुरू करने के बजाय छत्तीसगढ़ में आम आदिवासियों और माओवादियो के ख़िलाफ़ अँधाधुँध हिंसा और राजकीय दमन का जारी रखने से उसकी असली मंशा और कॉरपोरेट पूँजी के हितों की हिफ़ाजत करने की उसकी प्रतिबद्धता बार-बार उजागर हुई है।
भारत की क्रान्तिकारी मज़दूर पार्टी (RWPI) इन हत्याओं की एक उच्च-स्तरीय न्यायिक जाँच के साथ ही साथ ऑपरेशन कगार और अन्य तथाकथित उग्रवाद-विरोधी ऑपरेशन्स को तत्काल समाप्त करने, सरकार द्वारा सीपीआई (माओवादी) के साथ बातचीत और शान्तिवार्ता की शुरुआत करने और छत्तीसगढ़ में लागू आपवादिक क़ानूनों को तत्काल भंग करने की माँग करती है।