मोदी सरकार के पिछले 10 वर्षों में, रेलवे में नौकरियों को घटाया जा रहा है, जो नौकरियाँ हैं उनका ठेकाकरण और कैज़ुअलीकरण कर दिया गया है। भारतीय रेलवे में 78 हज़ार लोको एवं असिस्टेंट लोको पायलट हैं। रेलवे में लोको पायलट और सहायक लोको पायलट के कुल 1,27,644 पद हैं जिनमें से 18,766 पद (14.7 फीसदी) एक मार्च 2024 को रिक्त थे। लोको पायलट के 70,093 पद स्वीकृत हैं, जिनमें से 14,429 (लगभग 20.5 फीसदी) खाली पड़े हैं, जबकि सहायक लोको पायलट के 57,551 पद स्वीकृत हैं जिनमें से 4,337 (लगभग 7.5 फीसदी) खाली हैं। नतीजतन, ड्राइवरों पर काम का भयंकर बोझ है। कई जगहों पर ड्राइवरों को गाड़ियाँ रोककर झपकियाँ लेनी पड़ रही हैं क्योंकि 18-20 घण्टे लगातार गाड़ी चलाने के बाद बिना सोये दुर्घटना की सम्भावना बढ़ जाती है। पश्चिम रेलवे के अहमदाबाद डिवीजन द्वारा मई 2023 में तैयार एक आधिकारिक नोट में कहा गया था कि लोको पायलट की कमी के कारण अप्रैल 2023 में 23.5 प्रतिशत लोको पायलट ने काम करने के अधिकतम समय 12 घण्टे से अधिक काम किया। इसी प्रकार, लगातार 6-6 दिन रात की ड्यूटी करवाये जाने के कारण भी रेल दुर्घटनाओं की संख्या बढ़ रही है। 2021-22 से 2022-23 के बीच नुकसानदेह रेल दुर्घटनाओं की संख्या में 37 प्रतिशत की भारी बढ़ोत्तरी हुई। कई बार ड्राइवरों को बिना शौचालय विराम के 10-10 घण्टे तक काम करना पड़ता है।
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