“राष्ट्रवाद” और “देशप्रेम” की दुहाई देने वाली भाजपा सरकार की असलियत!!

“राष्ट्रवाद” और “देशप्रेम” की दुहाई देने वाली भाजपा सरकार की असलियत!!
सत्यपाल मलिक ने पुलवामा हमले में मोदी सरकार और सुरक्षा एजेंसियों को ठहराया ज़िम्मेदार!!

भारत की क्रान्तिकारी मज़दूर पार्टी (RWPI) द्वारा जारी
2019 के लोकसभा चुनावों से ऐन पहले हुआ पुलवामा हमला आज भी हमारी स्मृतियों में ताज़ा है। इस हमले में क़रीब 40 जवानों ने अपनी जान गँवायी थी। इस घटना ने हमारे सामने कई सवाल खड़े किये थे। क्या यह महज़ संयोग है कि हर बार चुनाव से पहले ही इस तरह की घटनाएँ घटती हैं? पुलवामा हमले ने देश की सुरक्षा व्यवस्था और सरकारी एजेंसियों की लापरवाही पर भी प्रश्नचिन्ह खड़ा किया था। आख़िर 300 किलो आरडीएक्स देश की सीमा के भीतर कैसे पहुँचा? देश की सुरक्षा एजेंसियाँ कहाँ थी? एक सवाल तो यह भी था कि पुलवामा हमले के बाद आतंकियों को जम्मू से पाकिस्तान पहुँचाने में मदद करने वाले पुलिस अधिकारी देवेन्दर सिंह का क्या हुआ? उसपर कोई कार्रवाई क्यों नहीं हुई?
मगर इन सवालों को सरकार द्वारा दबा दिया गया और देश में अन्धराष्ट्रवाद की भयंकर लहर फ़ैलायी गयी। जनता की स्मृतियों में गोदी मीडिया के प्रचार के ज़रिए यह बात डाल दी गयी कि पुलवामा हमले का बदला बालाकोट एयर स्ट्राइक के ज़रिए ले लिया गया है। देश फ़िलहाल एक मज़बूत नेतृत्व के हाथों में हैं इसलिए चिन्ता की कोई बात नहीं है!! इस तरह भाजपा सरकार हर क़िस्म की जवाबदेही से बच निकली!!
जबकि असली मुद्दा बालाकोट एयर स्ट्राइक नहीं था, बल्कि मुद्दा यह था कि पुलवामा हमला आख़िर कैसे सम्भव हुआ? और क्या यह अनायास ही है कि इस तरह की घटनाएँ हर बार चुनाव से पहले ही होती हैं??
जम्मू कश्मीर के पूर्वराज्यपाल सत्यपाल मलिक ने द वायर न्यूज़ पोर्टल को दिये गये इण्टरव्यू में यह खुलासा किया है कि सीआरपीएफ़ के अधिकारियों की तरफ़ से जवानों को जम्मू से श्रीनगर तक सुरक्षित पहुँचाने के लिए गृह मंत्रालय से 5 एयरक्राफ़्ट्स की माँग की थी, परन्तु गृह मंत्रालय ने इसका कोई संज्ञान नहीं लिया। सीआरपीएफ़ के 2500 से भी ज़्यादा जवानों का काफ़िला 78 गाड़ियों में सड़क मार्ग से जम्मू से श्रीनगर को जाने के लिए भेज दिया गया जबकि गोपनीय स्रोतों से सरकार को यह सूचनाएँ मिल रही थी की चरमपन्थी मिलिटेण्ट समूहों की हरक़तों में तेज़ी आयी है और देर-सबेर ये समूह बड़ी घटना को अंजाम दे सकते हैं। सत्यपाल मलिक ने इण्टरव्यू में यह बात भी क़बूल की है कि सड़क मार्ग पर भी सुरक्षा के पुख़्ता इन्तज़ाम नहीं किये गये थे। सत्यपाल मलिक ने अपने इण्टरव्यू में यह भी बताया कि हमले के बाद जब उन्होंने “प्रधानसेवक” से कहा कि इस घटना के पीछे की वजह सरकारी एजेंसियों से हुई चूक है तो देश की सुरक्षा में लगे “प्रधान चौकीदार” ने उनसे कहा कि इस मामले पर वह “चुप रहें”! यही बात मलिक जी को राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल की तरफ़ से भी सुनने को मिली!
सत्यपाल मलिक के बयान से आज एक बार फिर यह बात रेखांकित हो गयी है कि सेना के आम सैनिकों की ज़िन्दगी से इस सरकार को कोई लेना-देना नहीं है। बल्कि इस तरह की घटनाओं का इस्तेमाल ये केवल देश में अन्धराष्ट्रवादी लहर फ़ैलाकर अपनी चुनावी गोटियाँ लाल करने के लिए करते हैं। “देश की सुरक्षा” से इन्हें कोई लेना-देना नहीं है! अपने फ़ासीवादी एजेंडे को लागू करते हुए भाजपा सरकार और संघ परिवार ने मिलकर पुलवामा हमले और उसके जवाब में किये गये बालाकोट एयर स्ट्राइक का इस्तेमाल किया और अन्धराष्ट्रवाद का ज़हर फैलाया, मज़बूत हिन्दू राष्ट्र की बात करते हुए हिन्दू आबादी का ध्रुवीकरण किया। इस अन्धराष्ट्रवाद की लहर में लोगों के जीवन की असल समस्याएँ भुला दी गयीं।
भाजपा सरकार अपनी पूँजीपरस्त नीतियों की वजह से जब जनता के बीच अलोकप्रिय हो जाती है तब इन घटनाओं का सहारा लेकर अपना वोट बैंक तैयार करती है। 2024 के चुनाव नज़दीक आ रहें हैं और देश की एक बड़ी आबादी महँगाई, बेरोज़गारी, अशिक्षा, भ्रष्टाचार से परेशान है। ऐसे में, इस बात की पूरी सम्भावना है कि आने वाले दिनों में फ़िर से आतंकवादी हमले शुरु होने की ख़बरें ज़ोर-शोर से सुनायी देने लगे!! हमें इन घटनाओं के पीछे की असलियत को समझकर अब चेत जाना चाहिए।
जिन लोगों का इतिहास आज़ादी से पहले अंग्रेज़ों से क्रान्तिकारियों की मुख़बिरी करने, कारगिल के शहीदों के ताबूत ख़रीदारी में घोटाला करने का रहा हो, सेना में ठेके पर जवानों की भर्ती करने की नीति लागू करने का हो, उनसे “देशप्रेम” की उम्मीद करना हमारी बेवकूफ़ी होगी! पुलवामा हमले में सत्यपाल मलिक द्वारा सरकार पर उठाये गये सवाल इस बात को चीख़-चीख़ कर कह रहें हैं कि भाजपा सरकार ने सैनिकों की लाशों पर चुनावी रोटियाँ सेंकने में भी कोई कसर नहीं छोड़ी।
भारत की क्रान्तिकारी मज़दूर पार्टी (RWPI) यह माँग करती है कि इस पूरे मामले की निष्पक्ष जाँच करायी जाये और दोषियों पर सख़्त कार्रवाई की जाये। अब पुलवामा मामले की सच्चाई उजागर होने के बाद प्रधानमंत्री मोदी इस प्रकरण की पूरी ज़िम्मेदारी लेते हुए देश की जनता को तत्काल जवाब दें।
इसके साथ ही हम इस देश की मेहनतकश आवाम को एक बार फ़िर आगाह कर देना चाहते हैं कि अब जबकि 2024 के लोकसभा चुनाव नज़दीक हैं और हर मोर्चे पर विफ़ल भाजपा सरकार एक बार फ़िर लोगों की असल समस्याओं से उनका ध्यान भटकाने के लिए अन्धराष्ट्रवाद की लहर और साम्प्रदायिक उन्माद फ़ैलाने की कोशिश में है, तो हमें इनकी चालों से सावधान रहना होगा और अपने जीवन के असल मुद्दों पर इन्हें घेरना होगा।