संसद के अन्दर-बाहर नारेबाज़ी करने व रंगीन धुँआ छोड़ने में संलग्न रहे युवाओं का यूएपीए के तहत दमन बन्द करो और इन्हें तत्काल रिहा करो!
जनता के व्यापक आन्दोलन के दबाव में ही हम सरकार को झुकने पर मजबूर कर सकते हैं। शिक्षा-रोज़गार से जुड़े मसले भी छात्र-युवा आबादी के दबाव में ही समाधान की ओर जा सकते हैं। यदि वाकई हालात में बदलाव लाना है तो जनता को जागृत और गोलबन्द करने के काम में जागरूक युवाओं को तत्काल जुट जाना चाहिए। हमारी 13 दिसम्बर जैसी कार्रवाइयों से शासन-सत्ता के कानों पर जूं तक नहीं रेंगेगी।
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