ईरान पर इज़रायली हमले के साथ मध्‍यपूर्व में साम्राज्‍यवादी युद्ध का विस्‍तार – युद्ध, नरसंहार और तबाही: ये साम्राज्‍यवाद द्वारा मानवता को दी जा रही नेमतें हैं

ईरान पर इज़रायली हमले के साथ मध्‍यपूर्व में साम्राज्‍यवादी युद्ध का विस्‍तार
युद्ध, नरसंहार और तबाही: ये साम्राज्‍यवाद द्वारा मानवता को दी जा रही नेमतें हैं
अगर हमें मानवता को बचाना है तो साम्राज्‍यवाद का अन्‍त करना ही होगा

भारत की क्रान्तिकारी मज़दूर पार्टी (RWPI) द्वारा जारी

गत 13 जून को इज़रायल ने अन्‍तरराष्‍ट्रीय क़ानूनों और ईरान की राष्‍ट्रीय सम्‍प्रभुता की धज्जियाँ उड़ाते हुए ईरान पर एकतरफ़ा हवाई हमले करके मध्‍यपूर्व में जारी साम्राज्‍यवादी युद्ध को नया विस्‍तार दिया है। इन हमलों में अब तक ईरान के शीर्ष सैन्‍य अधिकारियों और नाभिकीय वैज्ञानिकों समेत सैकड़ों नागरिकों की जानें जा चुकी हैं। 16 जून को इज़रायल ने ईरान के सरकारी टेलीविज़न स्‍टेशन पर भी हमला किया। ईरान ने भी इन हमलों को चुपचाप सहने की बजाय जवाबी कार्रवाई में इज़रायल पर मिसाइलों और ड्रोनों से हमला किया है जिनमें दर्जनों इज़रायली मारे गए हैं। ख़बरों के मुताबिक़ इज़रायल ने ईरान के नाभिकीय संस्‍थानों पर भी हमला किया है जिसके भीषण दुष्‍परिणाम हो सकते हैं।

हालाँकि अमेरिका के विदेश मंत्री मार्को रूबियो ने ईरान पर हुए इन हमलों में अमेरिका का हाथ होने से इन्‍कार किया है, परन्‍तु यह एक ख़ुला रहस्‍य है कि इज़रायल इतना बड़ा हमला अमेरिका की मंजूरी और उसकी मदद के बग़ैर नहीं कर सकता। ये हमले ठीक उस समय हुए जब अमेरिका और ईरान के बीच ओमान व रोम में नाभिकीय समझौते को लेकर वार्तालाप चल रहा था। ईरान पर इज़रायली हमले के बाद यह नाभिकीय समझौता भी खटाई में पड़ गया है। अमेरिका अब युद्ध का हवाला देकर ईरान पर कहीं ज्‍़यादा अपमानजनक शर्तों पर नाभिकीय समझौते का दबाव डाल रहा है।

इज़रायल अमेरिका को भी इस युद्ध में प्रत्‍यक्ष रूप से घसीटना चाह रहा है। हालाँकि फ़‍िलहाल अमेरिका ने इस युद्ध में प्रत्‍यक्ष भागीदारी नहीं की है, परन्‍तु आने वाले दिनों में इस सम्‍भावना से इन्‍कार नहीं किया जा सकता है कि इस युद्ध में अमेरिका भी शामिल हो जाए। अगर अमेरिका प्रत्‍यक्ष रूप से इस युद्ध में न भी शामिल हो तब भी वह इज़रायल को सैन्‍य और ख़ुफ़‍िया मदद के ज़रिये पहले से ही इस युद्ध में अप्रत्‍यक्ष रूप से भागीदारी कर रहा है। अमेरिकी राष्‍ट्रपत‍ि डोनाल्‍ड ट्रम्‍प ने सोशल मीडिया पर ईरान की ख़मेनी सत्‍ता के ख़‍िलाफ़ धमकी भरे पोस्‍ट के ज़रिये अपना विषवमन जारी रखा है।

ज़ायनवादी इज़रायल ने ईरान पर हमला एक ऐसे समय किया है जब ग़ज़ा में पिछले 20 महीने के जारी नरसंहारक युद्ध में बच्‍चों और महिलाओं समेत 60 हज़ार लोग मारे जा चुके हैं और ग़ज़ा में भुखमरी और अभूतपूर्व मानवीय संकट की ख़बरें पूरी दुनिया में फैल रही हैं जिनकी वजह से इज़रायल के आतंकी चरित्र के बारे में ज्‍़यादा से ज्‍़यादा लोगों को पता चल रहा है। पिछले 20 महीनों में इज़रायल ने ग़जा में हमास, लेबनान में हिज़बुल्‍लाह, यमन में हूथी लड़ाकों पर हमलों के अलावा सीरिया व ईरान पर हमले किये हैं। इन हमलों के बावजूद वह फ़‍िलिस्‍तीनी जनता के प्रतिरोध को नेस्‍तनाबूद करने के अपने लक्ष्‍य को हासिल नहीं कर सका है। हालाँकि इज़रायल हमास और हिजबुल्‍लाह के शीर्ष नेतृत्‍व को ख़त्‍म करने में कामयाब हुआ है परन्‍तु वह इन संगठनों के वजूद को समाप्‍त करने से कोसों दूर है जिसकी वजह से वह बौखलाया हुआ है। ईरान पर किया गया हमला उसकी इसी बौखलाहट की निशानी है। इतना स्‍पष्‍ट है कि ईरान पर हमले का उसके नाभिकीय कार्यक्रम से कोई लेना-देना नहीं है। यह मध्‍यपूर्व में अमेरिकी साम्राज्‍यवाद के गिरते वर्चस्‍व की प्रतिक्रिया में उठाया गया एक और क़दम है।

ईरान पर किये गये हमले के पीछे इज़रायल ने यह वजह बतायी है कि ईरान नाभिकीय हथियार बनाने की दहलीज़ पर है। उसने अपने इस दावे के पीछे कोई प्रमाण देने की ज़रूरत नहीं समझी। विडम्‍बना यह है कि इज़रायल स्‍वयं नाभिकीय हथ‍ियारों से लैस मध्‍यपूर्व का एकमात्र राज्‍य है। इज़रायल के इस हास्‍यास्‍पद दावे से सहसा ही हमें इराक़ युद्ध की याद आ जाती है। उस समय भी इराक़ पर अमेरिकी साम्राज्‍यवादी हमले के पीछे यह दावा किया गया था कि इराक़ के पास बड़े पैमाने पर तबाही मचाने वाले हथि‍यार हैं। इसी प्रकार अमेरिकी साम्राज्‍यवाद ने लोकतंत्र फैलाने के नाम पर अफ़ग़ानिस्‍तान पर हमला किया था। इतिहास गवाह है कि ये सभी दावे बिल्‍कुल झूठे थे। आज भी ईरान पर किये गये हमले के पीछे जो तर्क दिये जा रहे हैं उनका सच्‍चाई से कोई लेना-देना नहीं है। वैसे भी किसी देश को महज़ इस आधार पर किसी दूसरे देश पर हमले करने का कोई हक़ नहीं है कि दूसरा देश कोई ख़ास प्रकार के हथियार बना रहा है। इज़रायल द्वारा क‍िया गया हमला किसी भी रूप में आत्‍मरक्षा की कार्रवाई नहीं है बल्कि वह समूचे मध्‍य-पूर्व में अमेरिकी साम्राज्‍यवाद के प्रहरी की भूमिका न‍िभा रहा है। अब इसमें कोई शक नहीं रह गया है कि विश्‍वपटल पर अमेरिकी साम्राज्‍यवाद अपनी ढलान पर काफ़ी आगे निकल चुका है। अमेरिकी पूँजीवाद का संकट लगातार गहराता जा रहा है। नये-नये युद्धों का सामने आना संकटग्रस्‍त साम्राज्‍यवादी व्‍यवस्‍था के अन्‍तरविरोधों के गहराने की ही निशानी है। जहाँ एक ओर अमेरिकी साम्राज्‍यवाद अपनी ढलान पर है वहीं दूसरी ओर पिछले कुछ दशकों के दौरान चीन और रूस के नेतृत्‍व में साम्राज्‍यवाद की दूसरी धुरी स्‍पष्‍ट रूप से सामने आयी है। कच्‍चे माल, प्राकृतिक संसाधनों और बाज़ारों को लेकर इन दो साम्राज्‍यवादी धुरियों के बीच की प्रतिस्‍पर्धा ही दुनिया के विभ‍िन्‍न हिस्‍सों में युद्धों के रूप में सामने आ रही है। ईरान की नज़दीकी रूस और चीन की साम्राज्‍यवादी धुरी से होने की वजह से अमेरिकी साम्राज्‍यवाद और इज़रायल के लिए ईरान को झुकाना आसान नहीं होगा। हालाँकि ईरान में ख़मेनी की धार्मिक कट्टरपन्‍थी सत्‍ता के ख़‍िलाफ़ ज़बर्दस्‍त जन-असंतोष है, परन्‍तु अमेरिकी साम्राज्‍यवाद के हमले के ख़‍िलाफ़ वहाँ के लोग एकजुट हैं।

आने वाले दिनों में अमेरिकी साम्राज्‍यवाद अपने गिरते वर्चस्‍व को रोकने के लिए मध्‍य-पूर्व सहित दुनिया के विभ‍िन्‍न हिस्‍सों में युद्ध, नरसंहार, बेपनाह हिंसा का सहारा लेने से बाज़ नहीं आने वाला है। मध्‍य-पूर्व में चल रही मौजूदा उथल-पुथल का असर न सिर्फ़ उस क्षेत्र में होगा बल्कि तेल व गैस का भण्‍डार होने की वजह से उस क्षेत्र मे अस्थिरता का असर समूचे व‍िश्‍व की अर्थव्‍यवस्‍थाओं पर होना लाज़‍िमी है। साथ ही यह उथल-पुथल, अनिश्‍चितता और अस्थिरता जनबग़ावतों की ज्‍वाला को भी भड़काने का काम करेगी। स्‍पष्‍ट है कि साम्राज्‍यवाद का एक-एक दिन मानवता के लिए ज्‍़यादा से ज्‍़यादा तबाही और बरबादी का सबब बनता जा रहा है। इसलिए साम्राज्‍यवाद के ख़ात्‍मे के बिना दुनिया में अमन, चैन और ख़ुशहाली नहीं हो सकती है।

भारत की क्रान्तिकारी मज़दूर पार्टी (RWPI) इज़रायल द्वारा ईरान पर एकतरफ़ा हमले की पुरज़ोर भर्त्सना करती है। अमेरिकी साम्राज्‍यवाद की शह पर इज़रायल द्वारा किया गया यह हमला दुनिया भर में अस्थिरता और अनिश्‍चितता बढ़ाने वाला है। इसलिए हम ईरान सहित दुनिया भर की मेहनतकश अवाम से साम्राज्‍यवाद के ख़‍िलाफ़ संघर्ष को तेज़ करने का आह्वान करते हैं।

भारत की क्रान्तिकारी मज़दूर पार्टी • RWPI

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.