RWPI हर कदम पर जेट कर्मचारियों के साथ! हर मंच पर आपकी आवाज़ बुलंद करने का संकल्प!

जेट एयरवेज़ के 16000 कर्मचारी हुए बेरोजगार! 
कौन है इसका ज़िम्मेदार!
गोयल, माल्या की सरकार, ये सब इसके ज़िम्मेदार!!

साथियो,

पिछले दिनो निजी विमान कंपनी जेट एयरवेज़ के बंद हो जाने की वजह से इसके 16000 से ज्यादा कर्मचारी और एयरलाइन्स से जुड़े दूसरे हजारों कामगार अचानक से बेरोजगार हो गए। ये वही कर्मचारी हैं जिनकी मेहनत की वजह से आप और हम हवाई जहाज की यात्रा कर पाते है। इन कर्मचारियों की मेहनत और तालमेल से ही जेट एयरवेज 120 विमानों और हर रोज 600 से ज्यादा उड़ानों को संचालित करती थी। लेकिन इन्हे पिछले कई महीनों से वेतन भी नहीं मिला है। 16000 कर्मचारियों का मतलब परिवार के करीब 80000 सदस्य सड़क पर आ जाने के कगार पर हैं। लेकिन जब आज जेट एयरलाइन्स बंद हो गयी है तो सरकार सहित मीडिया को इन कर्मचारियों की कोई फिक्र नहीं है। मीडिया मे भी जो बातें हो रहीं है वे सिर्फ यहाँ तक सीमित हैं कि कंपनी का क्या होगा? जनता का पैसा लूट कर विदेश मे बैठा विजय माल्या भी जेट के मालिक नरेश गोयल के साथ हमदर्दी दिखा रहा है! इस बात पर चर्चा हो रही है कि कैसे इस बेचारे मालिक को दिवालिया होने से बचाया जाये। लेकिन एयरलाइन्स चलाने वाले और पिछले 26 साल से अपनी मेहनत से गोयल की तिजोरी भरने वाले हम मेहनतकश कर्मचारियों के भविष्य की बात कोई नहीं कर रहा है। अपने चुनाव प्रचार में मस्त और गोयल जैसे पूँजीपतियों पर जनता का खज़ाना लुटाने मे व्यस्त मोदी सरकार को हमारी कोई परवाह नहीं है। यह बेशर्म सरकार हमारी नौकरी बचाने के लिए कोई आश्वासन तक नहीं दे रही है। अच्छे दिनों की आस मे जिन्हें हमने 5 साल पहले चुन कर सत्ता मे भेजा था, आज हमारे सबसे बुरे दिन लाने मे उन्होने ही कोई कसर नहीं छोड़ी! आज जेट एयरवेज़ और उसके कर्मचारियों व मज़दूरों की समस्‍या का क्‍या समाधान है?

हमारे अनुसार, यह समाधान है जेट एयरवेज़ का राष्‍ट्रीकरण। भारत की क्रान्तिकारी मज़दूर पार्टी (RWPI) सरकार से माँग करती है कि जेट एयरवेज़ की पूरी संपत्ति का राष्ट्रीकरण (nationalization) किया जाये और सभी कर्मचारियों को सरकारी कर्मचारी का दर्चा देकर इनकी नौकरी के संकट को तत्काल प्रभाव से दूर किया जाये।

1991 के बाद शुरू हुए निजीकरण और उदारीकरण के बाद जब विमान सेवाओं को भी निजी निवेश के लिए खोला गया, तभी से जेट एयरवेज़ उन पहली निजी कम्पनियों में से है जिन्होंने विमानन क्षेत्र मे व्यापार शुरू किया। पिछले 26 सालों से ये कर्मचारी जेट के लिए काम कर रहे हैं, और इनकी बदौलत ही नरेश गोयल की संपत्ति में कई गुने की वृद्धि हुई है। आपको याद होगा कि इस कंपनी ने पहले भी 2008-09 में अचानक से 800 से ज्यादा कर्मचारियों को निकालने और उनका वेतन कम करने का फैसला लिया था, जिसके खिलाफ लंबा संघर्ष चला था। कम्पनी के भारतीय कर्मचारियों ने तो इस एयरलाइन्स पर भेदभाव का भी आरोप लगाया था। मतलब साफ है साथियो, कि हम मेहनतकश कर्मचारियों से कंपनी या इसके मालिक गोयल को कोई लगाव नहीं है, इनके लिए हम बस मुनाफे की हवस को पूरा करने वाले मशीन के कल-पुर्जे से ज्यादा कुछ और नहीं है।

एक बात यह भी जानने वाली है कि आखिर क्यों जेट एयरवेज़ जैसी विमानन कंपनी अचानक से बंद हो जाती है और हम जैसे 16000 से भी ज्यादा कर्मचारियों को सड़क पर आने को मजबूर कर दिया जाता है। निजी मुनाफे पर टिकी इस पूंजीवादी व्यवस्था में एक से ज्यादा पूंजीपति आपस में प्रतिस्पर्धा करते है ताकि बाज़ार पर अधिक से अधिक इनका कब्जा हो सके। इसके लिए इन्हें अपने उत्पाद को सस्ते से सस्ते मे बेचना होता है, और इस प्रक्रिया में ये तकनीक, आधारभूत संरचना, और मशीनों मे अधिक से अधिक निवेश करते हैं और कर्मचारियों के वेतन में कटौती करते है, इसी प्रक्रिया में छंटनी भी होती है जिससे लोग बेरोज़गार होते है। इस प्रतिस्पर्धा मे कुछ कंपनियाँ बर्बाद भी होती है। ठीक ऐसा ही जेट के साथ हुआ है, इंडिगो, स्पाइसजेट, विस्तारा, एयर एशिया आदि एयरलाइन्स कंपनियों से मुनाफे पर टिकी पूंजीवादी प्रतियोगिता में पिछड़ जाने की वजह आज हम 16000 कर्मचारियों का यह हाल हुआ है। इसका तात्‍कालिक कारण ईंधन पर बढ़ा हुआ खर्च भी है, जिसका प्रमुख कारण मोदी सरकार द्वारा ईंधन पर बढ़ाये गये कर हैं। इसकी वजह से अन्‍य कई विमानन कम्‍पनियों को भी घाटे का सामना करना पड़ रहा है, क्‍योंकि गलाकाटू प्रतिस्‍पर्द्धा के कारण कोई भी कम्‍पनी ईंधन पर बढ़ी लागत को यात्रियों के टिकट का मूल्‍य बढ़ाकर वसूलने की स्थिति में ही नहीं है। लेकिन घाटा झेल रही कई निजी विमानन कम्‍पनियों में जेट एयरवेज़ पहली कम्‍पनी साबित हुई है, जो कि पूरी तरह बरबाद हो गयी। इसका पूरा ख़ामियाज़ा आम कर्मचारियों को भुगतना पड़ रहा है क्‍योंकि नरेश गोयल तो पूरे मसले से हाथ साफ़ कर और हज़ारों करोड़ रुपये के सरकारी कर्ज़ के साथ विदेश निकल गया है। ऐसे में, मौजूदा सरकार को 16,000 कर्मचारियों की रोज़ी-रोटी की जिम्‍मेदारी लेनी चाहिए और जेट एयरवेज़ का राष्‍ट्रीकरण करके उसके संचालन को अपने हाथों में लेना चाहिए।

साथियो, भारत की क्रान्तिकारी मज़दूर पार्टी (RWPI) इस मुश्किल वक़्त मे आपके साथ खड़ी है। पार्टी आप सभी कर्मचारियों को पक्के रोज़गार की बात और आपके अन्य मुद्दों को अपने चुनावी घोषणापत्र मे शामिल कर रही हैं। और हम आपको आश्वस्त करते है कि यदि हमारा एक भी उम्मीदवार आगामी लोक सभा चुनाव मे जीत कर आता है तो पार्टी आपकी मांगों को संसद में भी ज़ोरदार तरीके से उठाएगी और उसके लिए हर सम्‍भव संघर्ष करेगी।

क्रान्तिकारी अभिवादन के साथ

भारत की क्रान्तिकारी मज़दूर पार्टी (RWPI)

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