“विश्वगुरु भारत” के शीर्ष कुश्ती खिलाड़ी एक बार फ़िर सड़कों पर!  

“बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ” और “स्त्री सशक्तिकरण” का ढोल पीटने वाली भाजपा सरकार के राज में कोई स्त्री नहीं हैं सुरक्षित!!

बीते 23 अप्रैल को एक बार फ़िर देश के उत्कृष्ट कुश्ती खिलाड़ी और ओलम्पिक-कॉमन वेल्थ-एशियाई पदक विजेता बजरंग पुनिया, साक्षी मालिक, विनेश फोगाट व अन्य जन्तर-मन्तर पहुँचकर धरना देने को मजबूर हुए हैं। ज्ञात हो कि खिलाड़ियों ने भारतीय कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष भाजपा नेता बृजभूषण शरण सिंह पर महिला खिलाड़ियों के यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया था। बृजभूषण पर खिलाड़ियों के साथ गाली-गलौच करने, मारपीट करने, क्षेत्रवाद बरतने और भ्रष्टाचार के गम्भीर आरोप भी लगे हैं। इससे पहले भी बृजभूषण पर साम्प्रदायिकता, आगजनी, हिंसा और दंगे जैसे अपराधों में संलिप्तता के आरोप लगते रहे हैं। कुश्ती संघ के अध्यक्ष व चीफ़ कोच से लेकर कई उच्च अधिकारी भी इस घिनौनी हरक़त में शामिल हैं। ख़ैर, यह कोई आश्चर्य की बात नहीं है क्योंकि भाजपा जैसी “संस्कारी पार्टी” में शामिल होने की न्यूनतम शर्त है कि आप स्त्री-विरोधी, दंगाई और भ्रष्टाचारी हो!

मालूम हो कि कुश्ती महासंघ के अध्यक्ष के स्त्री-विरोधी और भ्रष्टाचारी रवैये के ख़िलाफ़ अवाज़ उठाते हुए बजरंग पुनिया व अन्य खिलाड़ियों ने इसी साल जनवरी में प्रदर्शन कर बृजभूषण सिंह के इस्तीफ़े, फेडरेशन में तत्काल बदलाव और आरोपियों के ख़िलाफ़ एफ़आईआर की माँग उठायी थी। तब प्रदर्शन के दबाव में आकर बृजभूषण सिंह को कुश्ती संघ छोड़नी पड़ी और खेल मंत्रालय ने आरोपों की जाँच के लिए 23 जनवरी को पाँच सदस्यीय निगरानी समिति का गठन किया और एक महीने के भीतर जाँच कर रिपोर्ट सौंपने की बात कही। मगर, आज तीन महीने बाद भी रिपोर्ट सार्वजानिक नहीं हुई है और सभी आरोपी आज़ाद घूम रहें हैं। शुचिता और संस्कार का दम्भ भरने वाली पार्टी भाजपा और उसके तमाम नेता-मंत्री की असलियत एक बार फिर हमारे सामने है!! इसके साथ ही ऐसी तमाम घटनाओं पर यह पार्टी और इसके “संस्कारी ठेकेदार” प्रधानमंत्री मोदी जी की सबसे प्रिय नीति “चुप रहो!” का पालन करते हुए देश की गौरवगाथा रचने में अपना योगदान दे रहें हैं।

संस्कार-सभ्यता-संस्कृति-शुचिता का दम्भ भरने वाले संघी-भाजपाई नेताओं और इनके लग्गू-भग्गुओं पर इस तरह के आरोप लगना कोई नयी बात नहीं है। प्राचीन गौरव, राष्ट्रवाद और ईमानदारी की सबसे ज़्यादा माला वही फेरता है जो इनकी आड़ लेकर अपने घिनोने कर्मों को छिपाना चाहता है। वैसे तो तमाम चुनावबाज़ पार्टियों में दुष्ट किस्म के लोग पाये जा सकते हैं लेकिन इनमें भी सबसे ज़्यादा कीचड़ में लिथड़े हुए ये तथाकथित संस्कारी ही पाये जाते हैं। विकट परिस्थितियों के बावजूद खिलाड़ी जब पदक जीतकर लाते हैं तो तमाम नेता उनके साथ फ़ोटो खिंचाने में तो आगे रहते हैं लेकिन खेल की तैयारी और माहौल को दुरुस्त करने में किसी का भी ध्यान नहीं है। अभी ज़्यादा समय नहीं हुआ जब हरियाणा भाजपा के खेल मंत्री सन्दीप सिंह के ख़िलाफ़ यौन हिंसा का आरोप लगाया गया था। इस मामले की जाँच करने की बजाय पीड़िता को ही तरह-तरह से डराया-धमकाया व प्रताड़ित किया जा रहा है। ख़ुद हरियाणा के मुख्यमंत्री महिला कोच के आरोपों पर अनर्गल होने का ठप्पा लगा रहे हैं। हरियाणा में कुश्ती संघ का उपाध्यक्ष पद एक हिस्ट्रीशीटर और भाजपाई लठैत को दिया गया है। ज़ाहिर सी बात है कि ऐसे माहौल में कैसे कोई खिलाड़ी अपना सौ फ़ीसदी अपने खेल को दे सकता है! इसके साथ ही हमें यह भी समझना चाहिए कि जब भाजपा ने “बेटी बचाओ” का नारा दिया था तो उसका असल अर्थ था कि बेटियों को भाजपाई ठेकेदारों से बचाये जाने की ज़रूरत है। मोदी राज में या यूं कहें कि इस देश के “अमृतकाल” की हक़ीक़त यह है कि आज हमारा देश पूरी दुनिया में स्त्रियों के लिये सबसे असुरक्षित देश है!!

 

हम भारत की क्रान्तिकारी मज़दूर पार्टी ( RWPI) की ओर से खिलाड़ियों की माँगों का पुरज़ोर समर्थन करते हैं। इसके साथ ही हम माँग करते हैं कि भाजपा नेता ब्रजभूषण व अन्य आरोपियों पर तत्काल एफ़आईआर हो और दोषियों को सख़्त सज़ा मिले।