केरल के भाजपा कार्यकर्ता द्वारा बम विस्फोट! भाजपा के नफ़रती अफ़ीम का एक और खुलासा!!

केरल के कन्नूर में भाजपा के एक कार्यकर्ता द्वारा बम बनाते वक्त विस्फोट होने की घटना सामने आयी है। कचुम्ब्रम थजेयिल विष्णु नामक भाजपा का एक 20 वर्षीय कार्यकर्ता बीते मंगलवार रात थालास्सेरी के पास एरंजोली में एक खाली परिसर में बम बना रहा था। उसी दौरान बम फट गया और अपराधी की हथेली कट गयी। थलास्सेरी पुलिस के अनुसार, घायल एरांजोली पुल के पास का निवासी है और विस्फोट उस समय हुआ जब वह कथित तौर पर एक देशी बम बनाने की कोशिश कर रहा था। विष्णु के बायें हाथ की हथेली और दाहिने हाथ की अंगुलियाँ टूट गयी हैं और उसके शरीर पर चोटें भी आयी हैं।

यह घटना मंगलवार आधी रात के क़रीब हुई। इस मामले में पुलिस ने एक देशी बम के अवशेष और बिना विस्फोटक सामग्री वाला एक बम बरामद किया है। इसपर थालास्सेरी पुलिस ने मामला दर्ज किया है। इस घटना में और भी लोगों के शामिल होने का सन्देह जताया जा रहा है। जिस इलाक़े में धमाका हुआ, वह बीजेपी का गढ़ माना जाता है और विष्णु के ख़िलाफ़ चार आपराधिक मामले दर्ज हैं।
यह कोई पहला मौका नहीं है जब ऐसे आतंकवादी गतिविधि में भाजपा-आरएसएस का कोई कार्यकर्ता पकड़ा गया हो। एक माह पहले केरल में ही यहीं कन्नूर जिले के कक्कयांगड इलाक़े में बीजेपी कार्यकर्ता संतोष अपने घर में कथित तौर पर बम बना रहा था जिसमें अचानक से ब्लास्ट हो गया था। इस ब्लास्ट में सन्तोष के साथ-साथ उसकी पत्नी लसिता भी घायल हुई थी।

लगातार बढ़ती महँगाई , बेरोज़गारी , भ्रष्टाचार आदि के कारण मोदी सरकार की गिरती लोकप्रियता से भाजपा-संघ परिवार बिलबिलाया हुआ है। 2024 का लोकसभा चुनाव जैसे-जैसे क़रीब आता जा रहा है इनकी बौखलाहट बढ़ती जा रही है। यही कारण है कि केरल ही नहीं पूरे देश स्तर पर दंगा भड़काने, समाज में दहशत का माहौल बनाने और अन्धराष्ट्रवाद के उन्माद फैलाने का खुला खेल खेला जा रहा है। इस तथ्य की पुष्टि के अनगिनत प्रमाण मौजूद हैं। मसलन उत्तर प्रदेश में संघ परिवार के लोगों द्वारा गाय कटवा कर दंगा भड़काने की साज़िश हो या बीते दिनों रामनवमी और हनुमान जयन्ती पर देश के कई राज्यों में इनके द्वारा अंज़ाम दिये गये फ़साद के मामले हों।

भारत की क्रान्तिकारी मज़दूर पार्टी यह माँग करती है केरल पुलिस इस मामले की उच्चस्तरीय जाँच करे और इस कृत्य में संलिप्त सभी दोषियों को कठोर से कठोर सज़ा दे। इसके अलावा हमें यह स्पष्ट समझ लेना चाहिए कि किसी भी दंगे या उन्माद में किसी फ़ासिस्ट या साम्प्रदायिक कट्टरपन्थी नेताओं के बच्चे तलवार, बम, लाठी और भाला लेकर नहीं जाते हैं। ऐसे सभी मामलों में मेहनतकश लोगों के घरों से ही खून की बलि दी जाती है। मेहनतकशों के ही लाशों की चिताओं पर वोटों की राजनीतिक रोटियाँ सेकी जाती हैं। आज देश की मेहनतकश जनता को इन फ़ासिस्ट ताक़तों के द्वारा फैलाये जा रहे नफ़रत के क़ारोबार की असलियत को समझकर शिक्षा, रोज़गार, चिकित्सा और आवास आदि की माँग उठाते हुए अपनी वर्गीय एकता कायम करनी होगी।