सरकार युद्धोन्माद फैलाना तत्काल बन्द करे!
भारत और पाकिस्तान दोनों ही मुल्कों की आम मेहनतकश जनता को गम्भीरता से यह सोचना होगा कि अगर इन हमलों से युद्ध की शुरुआत होती है तो उसके नतीजे क्या होंगे। जान-माल के होने वाले नुक़सान के साथ ही इस युद्ध में परमाणु हमले का भी ख़तरा है जो अकथनीय तबाही व यंत्रणा का सबब बनेगा। इसके अलावा, दोनों मुल्कों की बुर्जुआ राज्यसत्ताएँ जो इन अनुत्पादक युद्ध अभ्यासों पर करोड़ों-करोड़ रुपये बर्बाद कर रही है, अन्ततः इसका आर्थिक बोझ आम लोगों पर ही पड़ने वाला है। इसके अलावा, ऐसे युद्धों में “मातृभूमि की रक्षा के लिए” अग्रिम मोर्चे पर लड़ने वाले लोग हमेशा ही आम शहरी और ग्रामीण मेहनतकश जनता के घरों से ही आते हैं, न कि अम्बानी और अडानी जैसों के घरों से। आम मेहनतकश जनता बुर्जुआ राज्यसत्ताओं के बीच पूँजीवादी युद्ध के खेल में मोहरा बन जाती है। ऐसे में कोई भी समझदार व्यक्ति किसी भी समस्या के समाधान के रूप में भारत और पाकिस्तान के बीच किसी भी तरह के युद्ध का समर्थन नहीं कर सकता। यह स्पष्ट है कि अभी जो युद्धोन्माद की भावना भड़कायी जा रही है उसके पीछे असली इरादा आतंकवाद की समस्या को हल करना नहीं है, बल्कि लोगों का ध्यान उनकी जीवनयापन की वास्तविक समस्याओं से हटाकर एक “नक़ली दुश्मन” की ओर मोड़ना है।
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