नए मोटर वाहन कानून का मकसद जनता की सुरक्षा नहीं आम जनता की जेब पर डाका है!

नए मोटर वाहन कानून का मकसद जनता की सुरक्षा नहीं आम जनता की जेब पर डाका है!

15 सितम्‍बर को जुर्माने में वृद्धि के खिलाफ़ देशव्‍यापी प्रदर्शन में शामिल हो!!

पूंजीपतियों पर लाखों करोडों लुटा रही मोदी सरकार सरकारी खजाने की लूट की भरपाई हमसे भारी जुर्माना की वसूली कर करना चाहती है!!!

देश भर में लागू हुए नए मोटर वाहन कानून के बाद भारी जुर्माना वसूली का हाहाकार मचा हुआ है। कई ऑटो चालकों, ई-रिक्‍शा पर ट्रैफिक पुलिस ने तीस हजार, चालीस हजार से लेकर एक लाख से ऊपर तक का जुर्माना लगाया है। टैक्‍सी चलाने वाले, ऑटो चलाने वाले, टू- व्‍हीलर पर सफर करने वाली आबादी पर इतना अधिक जुर्माना लगाया गया है कि कई लागों ने जुर्माना न चुका पाने की अक्षमता के चलते अपनी गाड़ी तक जला दी। ऑटो चालक व ड्राइवर इस जुर्माने को चुका पाने में अक्षम हैं और उनकी आजीविका छिन रही है। यह कानून ग़रीब और मेहनत करने वाली जनता के ऊपर जुर्माने के प्रकोप की तरह बरस रहा है। कई स्‍कूटी वालों और छोटी गाड़ी वालों के पास अपने काम पर जाने या दुकान हेतु सामान पहुँचाने के यातायात का एकमात्र साधन वही वाहन था जिसपर हजारों का जुर्माना है और वे इस जुर्माने को चुका पाने में सक्षम भी नहीं है। यह हम लोगों की रोजी रोटी पर हमला है। मोदी सरकार जिन सख्‍त कदमों के जरिए जनता को सिखाने की बात कर रही है वह दरअसल ढकोसला है और वह अपने पूंजीपति आकाओं के लिए हमारी जेब पर डाका डाल रही है। जरा सोचिए कि मोदी सरकार ने इस साल के ‘बहीखाता’ बजट में पूंजीपति घरानों को कुछ लाख करोड़(!) बेलआउट पैकेज दिया, अमीरों पर लगने वाला कॉरपोरेट टैक्‍स कम कर दिया, मन्‍दी से उभारने के लिए पूंजीपतियों के लोन में सत्‍तर हजार करोड़ का बैंकों में जमा हमारा पैसा इन्‍हें दे दिया, फाइनेन्‍स कम्‍पनी को 1.3 लाख करोड़ रूपए का चन्‍दा सरकारी बैंको से देने की बात की जाती है और तो और रिजर्व बैंक की रिजर्व राशि 1.76 लाख करोड़ रूपए भी इन पूंजीपतियों के लिए निकलवा लिए हैं। सरकारी खजाने का सारा पैसा यह सरकार पूंजीपतियों पर लूटा चुकी है। यह वही सरकार है जिसने विजय माल्‍या से लेकर नीरव मोदी, मेहुल चोकसी को जनता का पैसा गबन कराकर विदेश भगाया था, एनपीए के नाम पर बैंकों में जमा जनता की राशि को पूंजीतियों को छूट दे दी थी और फिर सरकारी खजाने में कमी के नाम पर शिक्षा, स्‍वास्‍थ्‍य और रोज़गार की योजनाओं को अंगूठा दिखा दिया। पूंजीपतियों को सारा पैसा देकर जब सरकारी खजाना खाली हो गया है तो सरकार इसकी भरपाई करने के लिए नए मोटर वाहन कानून के जरिए जुर्माने लगाकर हमसे पैसे लूट रही है! अंदाजा लगाएं कि सरकार जब पुरानी दरों से बंगलुरु सरीखे शहर में सालाना 100 करोड़ जुर्माना वसूल रही थी तो अब यह जुर्माना हजारों करोड़ में पहुंचेगा। दूसरी बात सरकार की मंशा हमारी सुरक्षा नहीं है। निश्चित ही हम इस बात पर सौ टका सहमत हैं कि सुरक्षा हेतु कानून होने चाहिए परन्‍तु इसका बहाना बनाकर गरीब ऑटो चालकों, ट्रक चलाने वाली आबादी के मुँह से निवाला नहीं छीना जा सकता है। वहीं क्‍या यह साफ़ नहीं है कि यह जुर्माना मुख्‍यत: ऑटोचालक, टैक्‍सी चालक, ट्रक वालों, दुपहिया वाहन चालकों और छोटी गाड़ी वालों पर लगाया जा रहा है और बड़ी गाड़ियों में सफ़र करने वाली आबादी पर कम। नियमों और सख्‍ती की पीपनी बजा रही सरकार हर साल इण्डस्ट्रियल हादसों में हजारों मज़दूरों की मौत पर क्‍यों चुप है? क्‍यों पूंजीपतियों द्वारा लाइसेन्‍स, पर्यावरण और श्रम कानूनों के चोरी पर सरकार चुप है? हमें यह समझ लेना होगा कि यह पूंजीपतियों की चाकरी करने वाली सरकार है जिसको अपनी आवाज़ उठाकर ही इस वृद्धि को वापस लेने के लिए मजबूर किया जा सकता है।
क्‍यों नए मोटर नियम जनता की सुरक्षा के लिए नहीं बल्कि जनता की जेब पर ड़ाका है? :
• सालाना होने वाले हादसों का प्रमुख कारण जर्जर जनपरिवहन है जिस कारण सड़कों पर क्षमता से ज्‍यादा निजी वाहनों की मौजूदगी है। सरकार जनपरिवहन को कमजोर करती है जिससे निजी मोटर वाहन बिके और इनके मालिकों को जमकर फायदा हो । सरकार अगर निशुल्‍क जनपरिवहन यानी बेहतर बस, मेट्रो आदि का परिवहन नेटवर्क खड़ा करे और उन निजी वाहनों पर जो ज्‍यादा पेट्रोल खर्च करते हैं, अधिक कर लगाए तो आसानी से इन हादसों को रोका जा सकता है।
• सरकार सड़कों पर गड्ढों को हटाने का काम क्‍यों नहीं करती जिसके कारण हर साल हादसों में हजारों लोग मारे जाते हैं?
• सरकार इन्‍श्‍योरेन्‍स लेने के लिए जनता को मजबूर कर रही है लेकिन ये अधिकतम बीमा कम्‍पनी हादसे में मारे गए लोगों को बहाना करके बीमा का पैसा देती ही नहीं हैं, उसपर क्‍यों सरकार चुप रह जाती है?
• जो अमीरजादे शराब के नशे में चूर होकर फूटपाथों पर लोगों को कुचलते हैं वे कभी क्‍यों जेल नहीं जाते हैं, सलमान खान से लेकर अम्‍बानी के बेटे व अन्‍य अमीरजादों पर या तो मुकदमे चलते ही नहीं और अगर चले भी तो ये साल दर साल चलते रहते हैं जिससे उन्‍हे खुजली भी नहीं होती परन्‍तु आम जनता पर इतना भारी जुर्माना लगाकर सरकार लोगों की कमर तोड़ रही हैं।
• क्‍यों नेता-मन्त्रियों की गाड़ियों की और इनकी औलादों की गाड़ियों की जाँच नहीं होती, पुलिस वालों की, अफसरों की, भाजपा की बाइक रैली बिना हैल्‍मेट के निकलती है और आम जनता पर हजारों रूपए का जुर्माना लगता है ?
• सड़कों पर आवारा पशुओं के कारण हजारों लोगों की मौत होती है उसके लिए सरकार कदम क्‍यों नहीं उठाती है?
• हर साल सड़कों पर कम रोशनी और ट्रैफिक सिग्‍नल की कमी और खराबी के कारण हजारों लोग मरते हैं उसपर सरकार कुछ क्‍यों नहीं करती है?
• बेहतर रोड का नेटवर्क और लेन व साइकिल व पैदल चलने वाले लोगों के चलने का अलग लेन बनाकर स्‍वीडन ने अपने देश में हादसों को बहुत कम कर दिया। स्‍वीडन के अनुसार हादसे प्रमुखत: वाहक की गलती से नहीं बल्कि सड़क व परिवहन व्‍यवस्‍था के कारण होते हैं। जिस देश में हादसे कम हुए हैं वह बेहतर सड़क व परिवहन सुविधा से हुए है न कि जनता पर ठीकरा फोड़कर।
सड़कों पर हादसे क्‍यों होते हैं?
निश्चित तौर पर जनता को नियमों का पालन करना चाहिए। परन्‍तु यहाँ यह साफ है कि सरकार की मंशा जनता की सुरक्षा नहीं है, बल्कि इस बहाने से जनता के पैसे लूटकर पूंजीपतियों पर लुटाए सरकारी खजाने के पैसे की भरपाई करनी है। सड़क पर होने वाले हादसों का प्रमुख कारण जनता की गलती नहीं यातायात की व्‍यवस्‍था है जिसमें सड़कों पर ज़रूरत से ज्‍यादा निजी वाहन पटे पड़े हैं। जर्मनी और स्‍वीडन में लोगों के हादसे कम होते हैं क्‍योंकि वहां पर बेहतरीन जनपरिवहन की सुविधा है। साथ ही पैदल चलने वालों की अलग सड़कें और बेहतर परिवहन योजना से उन्‍होंने अपने देश में हादसे बेहद कम किए हैं। दरअसल यह सरकार निजी वाहन निर्माताओं, बीमा कम्‍पनी से चन्‍दा लेकर चुनाव लड़ती है और हादसों का सारा ठीकरा आम जनता पर डालती है। इन्‍हें हमारी जानमाल की चिन्‍ता नहीं है बल्कि एकमात्र चिन्‍ता हमारी जेब पर डाका डालकर अमीरों की जेब भरना है। हम यह नहीं कहते कि सुरक्षा के नियम तोड़ने पर जुर्माना नहीं होना चाहिए परन्‍तु यह लोगों की आय और उनकी क्षमता के अनुसार होना चाहिए। दिन में 300 से 1000 कमाने वालों पर हजारों का जुर्माना लगाना सरासर अन्‍याय है। वहीं सड़क पर नेता, मन्‍त्री, अफसर और उनकी औलादें बेरोकटोक नियमों के उल्‍लंघन पर कुछ नहीं होता, क्‍या यह अन्‍याय नहीं है? भगतसिहं ने कहा था कि अन्‍याय के खिलाफ़ विद्रोह न्‍यायसंगत है और जब सरकार न्‍याय नहीं दे सकती तो हमें सड़कों पर उतरकर सरकार से न्‍यायपूर्ण माँग करनी ही होगी कि:
1. तत्‍काल नए मोटर वाहन नियम में जुर्माने की राशि में की बढ़ोत्तरी वापस लो।
2. हादसों का ठीकरा जनता पर फोड़ने की जगह परिवहन व्‍यवस्‍था व सड़क परियोजना को बेहतर किया जाए।
3. नि:शुल्‍क व सुचारू जनपरिवहन की व्‍यवस्‍था खड़ी की जाए और निजी वाहनों के बढ़ने पर रोक लगाई जाए।
अगर हम सड़कों पर उतरें और इस लूट के खिलाफ़ सरकार को घेरें तभी और केवल तभी इस अमीरपरस्‍त सरकार को इस कानून को वापस लेने पर मजबूर किया जा सकता है!

प्रदर्शन का समय: 15 सितम्‍बर, सुबह 11 बजे
जगह: जन्‍तर-मन्‍तर, दिल्‍ली
भारत की क्रान्तिकारी मज़दूर पार्टी
7678518070, 9873358124, 9289498250,

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