एक दिवसीय सेमिनार : आज़ादी के 72 साल, आज के हालात तथा कश्मीर समस्या और उसका समाधान
18 अगस्त, 2019। आज भारत की क्रान्तिकारी मज़दूर पार्टी (Revolutionary Workers’ Party of India RWPI) द्वारा शहीद भगतसिंह पुस्तकालय, कलायत में ‘आज़ादी के 72 साल, आज के हालात और कश्मीर समस्या और उसके समाधान’ पर एक दिवसीय सेमिनार का आयोजन किया गया। RWPI की प्रवक्ता, शिवानी कौल ने श्रोताओं का सम्बोधन किया। उन्होंने बताया कि आज़ादी के बाद से तमाम सरकारों ने जनता को कानूनों की आड़ में लूटने व कुचलने तथा पूँजीपतियों की चाकरी करने का ही काम किया है। वहीं 2014 में सत्ता में आयी मोदी सरकार ने मज़दूरों की लूट को और नंगे रूप से कानूनी जामा पहनाने का काम किया है। जनान्दोलनों को कुचलने के लिये नये-नये काले कानून धड़ल्ले से पारित किये जा रहे हैं और श्रम कानूनों पर हमले तेज़ कर दिये गये हैं।
कश्मीर के मुद्दे पर आज जिस तरीके से भाजपा सरकार द्वारा प्रायोजित जश्न मनाया जा रहा है उसकी असिलयत आज देश की जनता के सामने लाने की ज़रूरत है। कश्मीरी राष्ट्रीयता के आत्मनिर्णय के अधिकार को नज़रअंदाज कर सभी सरकारों ने दमन का सहारा लिया है। कश्मीर ज़मीन का टुकड़ा नहीं है और उसका फ़ैसला कश्मीरी जनता की सहमति के बिना नहीं हो सकता। आज अगर कश्मीरी जनता में अलगाव है तो उसका कारण उनके साथ हुआ धोखा है। कश्मीर की जनता से किया गया ‘जनमत संग्रह’ का वायदा कभी पूरा नहीं किया गया, कश्मीर में हुये चुनाव में धांधली की गयी, सेना के जवानों को भेज कर जनता को फ़ौजी बूट तले दबाया गया और ख़ौफ़ के माहौल में जीने को मजबूर कर दिया गया। मनमाने तरीक़े से धारा 370 को ख़त्म करके कश्मीर की जनता के साथ ऐतिहासिक विश्वासघात किया गया है। इस क़दम के ज़रिए भाजपा और संघ परिवार पूरे देश में धार्मिक आधार पर ध्रुवीकरण को तेज़ करेंगे और धार्मिक अल्पसंख्यकों के अलगाव को और बढ़ायेंगे और इसी जुनून की आड़ में अपनी सरकार की नाकामियों को छिपाने के लिए पूरा ज़ोर लगा देंगे। इतिहास बताता है कि सेना के बूते पर किसी छोटे-से इलाक़े की भी पूरी आबादी को लम्बे समय तक दबा-कुचल कर नहीं रखा जा सकता। कश्मीर भी इसका अपवाद नहीं होगा। और देश की इंसाफ़पसन्द जनता को कश्मीर की अवाम के संघर्ष के साथ खड़ा होना होगा!